हाईकोर्ट ने जलमहल झील के पास की जमीन को 2011 में लीज पर देने के मामले में व्यवसायी नवरतन कोठारी, आईएएस विनोद जुत्शी, आरएएस हृदेश कुमार व आरटीडीसी के तत्कालीन एमडी राकेश सैनी को राहत दी है। कोर्ट ने उनके खिलाफ महानगर की निचली कोर्ट का प्रसंज्ञान आदेश रद्द कर दिया। साथ ही जलमहल झील से जुड़ी जमीन के आवंटन की प्रक्रिया को सही करार दिया। जस्टिस एसपी शर्मा ने यह आदेश शुक्रवार को नवरतन कोठारी सहित चारों की याचिकाओं को मंजूर करते हुए दिया।
अदालत ने मामले में पक्षकारों की बहस पूरी होने के बाद 29 जनवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था। प्रार्थियों की ओर से याचिकाओं में कहा गया था कि मामले में शिकायतकर्ता भगवत गौड़ ने टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया था। जबकि हाईकोर्ट ने जमीन की लीज डीड को ही रद्द कर दिया था। निचली कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले के आधार पर ही प्रार्थियों के खिलाफ 9 सितंबर 2011 को प्रसंज्ञान लिया था। लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का आदेश रद्द करते हुए जमीन की आवंटन प्रक्रिया को सही माना और 99 साल की लीज को कम कर तीस साल कर दिया था।
इसके अलावा जमीन की आवंटन प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता से हुई थी और उच्च बोलीदाता होने के कारण ही प्रार्थी कोठारी की फर्म को जमीन का आवंटन हुआ था। मामले में पुलिस ने भी कोई आरोप प्रमाणित नहीं मानकर मामले में तीन बार एफआर पेश की थी। ऐसे में प्रार्थियों के खिलाफ निचली कोर्ट के प्रसंज्ञान आदेश को रद्द किया जाए। अदालत ने पक्षकारों की बहस सुनकर मामले में नवरतन कोठारी सहित चारों के खिलाफ प्रसंज्ञान आदेश को रद्द कर दिया।