देश का प्राइवेट सेक्टर का चौथा सबसे बड़ा बैंक यस बैंक डूबने की कगार पर है। बैंक के शेयर लगातार लुढ़कते जा रहे हैं। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) अब उसे बचाने के लिए आगे आया है। देशभर में यस बैंक की 1000 से ज्यादा ब्रांच और 1800 एटीएम हैं। लोगों के मन में सवाल है कि 2004 में शुरू हुए इस बैंक की ये हालत कैसे हुई। तो हम आपको बता रहे हैं कि यस बैंक संकट में कैसे फंसा।
कैसे हुई थी बैंक की शुरुआत?
साल 2004 में राणा कपूर ने अपने रिश्तेदार अशोक कपूर के साथ मिलकर इस बैंक की शुरुआत की थी। 26/11 के मुंबई हमले में अशोक कपूर की मौत होने के बाद उनकी पत्नी मधु कपूर और राणा कपूर के बीच बैंक के मालिकाना हक को लेकर लड़ाई शुरू हो गई। मधु अपनी बेटी के लिए बोर्ड में जगह चाहती थीं। इस आपसी मतभेदों के कारण बैंक लगातार संकट में आता गया।
15 महीनों में 90 फीसदी तक का घाटा
बैंक की हालत इतनी खराब हो गई है कि 15 महीनों के अंदर निवेशकों को 90 फीसदी तक का घाटा हो चुका है। सितंबर 2018 में यस बैंक का कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन 90 हजार करोड़ रुपए था, जो घटकर 9 हजार करोड़ रह गया है। अगस्त 2018 में बैंक के शेयर का प्राइस करीब 400 रुपए था, जो नकदी की कमी के चलते फिलहाल 18 रुपए के आसपास है। आज बैंक के शेयर 80 फीसदी तक नीचे चला गया था।
मार्च 2019 की तिमाही में पहली बार घाटा हुआ
यस बैंक अगस्त 2018 से संकट में है। उस समय रिजर्व बैंक ने बैंक के संचालन और ऋण से जुड़ी खामियों की वजह से तत्कालीन प्रमुख राणा कपूर को 31 जनवरी, 2019 तक पद छोड़ने को कहा था। उनके उत्तराधिकारी रवनीत गिल के नेतृत्व में बैंक ने ऐसे कर्ज की सूचना प्रकाशित की जिनके मिलने की संभावना कम ही थी। बैंक को मार्च 2019 की तिमाही में पहली बार घाटा हुआ, जो लगातार बढ़ता गया।
बैड लोन के कारण बैंक परेशानी में फंसा
यस बैंक ने जिन कंपनियों को लोन दिया, उनमें अधिकतर घाटे में हैं और दिवालिया होने की कगार पर हैं। इससे बैंक का लोन फंस गया। जब कंपनियां डूबने लगीं तो बैंक को भी नुकसान का सामना करना पड़ा। बैंक ने ज्यादा ब्याज के लालच में बैड ब्वायज़ की लिस्ट में शामिल कंपनियों जैसे इंडिया बुल्स, इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (IL&FS), दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (DHFL), जेट एयरवेज, सीजी पावर, कैफे कॉफी डे के अलावा अनिल अंबानी के स्वामित्य वाले रिलायंस ग्रुप को भी कर्ज दिया। इनमें से ज्यादातर कंपनियों ने अपना लोन नहीं चुकाना। इससे यस बैंक की हालत खराब हो गई।

29 म्यूचुअल फंड स्कीम्स का डेट एक्सपोजर यस बैंक में है
स्कीम का नाम | वैल्यू (करोड़ रुपए में) |
निप्पोन इंडिया इक्विटी हाइब्रिड | 587.58 |
निप्पोन इंडिया क्रेडिट रिस्क | 468.45 |
निप्पोन इंडिया स्ट्रेटजिक डेट | 410.80 |
फैंकलिन इंडिया एसटी इनकम | 281.09 |
फ्रैंकलिन इंडिया क्रेडिट रिस्क | 135.24 |
निप्पोन इंडिया हाइब्रिड बॉन्ड | 78.77 |
यूटीआई यूनिट लिंक्ड इंश्यारेंस प्लान | 72.07 |
निप्पोन इंडिया क्रेडिट रिस्क | 71.65 |
यूटीआई क्रेडिट रिस्क | 71.25 |
यूटीआई चिल्ड्रेन्स करियर फंड सेविंग प्लान | 71.25 |
कोटक क्रेडिट रिस्क | 62.99 |
प्रमुख इंश्यारेंस कंपनियों का यस बैंक में एक्सपोजर
इंश्यारेंस कंपनी | यस बैंक में एक्सपोजर |
एलआईसी | 8,351 करोड़ रुपए |
मैक्स लाइफ | 1,996 करोड़ रुपए |
एसबीआई लाइफ | 368.8 करोड़ रुपए |
आईसीआईसीआई लोंबार्ड | 257.7 करोड़ रुपए |
एचडीएफसी लाइफ | 196.4 करोड़ रुपए |
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल | 145.6 करोड़ रुपए |
मूडीज ने रेटिंग घटाई तो बैंक की साख को हुआ नुकसान
2019 में बैंक क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIBs) के जरिए फंड जुटाने के अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच सका था। इससे अगस्त 2019 में मूडीज ने यस बैंक की रेटिंग घटा दी। रेटिंग घटने से बैंक को लेकर बाजार में नकारात्मक माहौल बना, इससे भी कंपनी को नुकसान पहुंचा।
कब तक निकलेगा इस समस्या का हल?
यस बैंक की आर्थिक स्थिति में गंभीर गिरावट आने के बाद रिजर्व बैंक ने 30 दिन के लिए उसके बोर्ड का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है। एसबीआई के पूर्व डीएमडी और सीएफओ प्रशांत कुमार को बैंक का प्रशासक बनाया गया है। आरबीआई ने जल्द ही यस बैंक के लिए रीस्ट्रक्चरिंग प्लान पेश करने की बात भी कही है। इससे पहले बैंक को बचाने के लिए सरकार ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) को आगे किया था। न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि यस बैंक में शेयर खरीदने की एसबीआई की योजना को सरकार ने मंजूरी दे दी है। इसका आधिकारिक ऐलान जल्द किया जा सकता है। यस बैंक में हिस्सेदारी खरीदने वाले कंसोर्शियम को एसबीआई लीड करेगा। अंग्रेजी की बिजनेस न्यूज वेबसाइट इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एसबीआई और एलआईसी मिलकर यस बैंक की 49% हिस्सेदारी खरीद सकते हैं।